चला जा रहा हूँ...
चला जा रहा हूँ मैं लगातार इन राहों पर कदम दर कदम पहर दर पहर ना मंज़िल की आस है ना उसे पाने की कोई प्यास है बस इन लगातार चलती रहो पर मैं भी यूँ ही बस चला जा रहा हूँ… कभी आने वाला वक़्त डरा जाता है कभी गुजरा वक़्त भी गम जवां कर जाता है ना इस पल की खबर है ना इसके बीत जाने का ठिकाना बस यादों और चिन्ताओ में ही मैं यूँ घुट रहा हूँ इन लगातार चलती राहों पर मैं भी यूँ ही बस चला जा रहा हूँ.. इन सब में ये देख ही नही पाया कभी के ये पल जो चला जा रहा है अभी कभी ये ही मुझे डराता था कभी ये ही अतीत बनके वापस आ जाएगा एहसास ये अब हुआ मुझे के बीता हुआ हर पल था कितना सुहाना समेटे हुए अपने आप मे पूरा अफ़साना पर अब ना कोई भी पल यूँ फिसल पाएगा बिना मतलब के यूँ छुप के निकल पाएगा क्यूंकी अब सारे डर छोड़कर मैं इस पल को ही जिए जा रहा हूँ अबकी बार मैं अपनी खुशी से लगातार बस चला जा रहा हुँ..